Monday, October 10, 2011

भक्ती

भक्ती
सब कुछ मिल जाएगा भक्ति से, सब कुछ मिल जाएगा | अजी पंचकोश कईसे समाप्त होगा ? वो तो ज्ञान से होता हे | जईसे खाना खाने के बाद अपने आप वो हजम हो जाता हे | ऐसे ही भगवन के वियोग में जो ज्वाला उठती हे, दर्द, उसमे पंचकोश भस्म  हो जाता हे | इसकी चिंता आप न करें | अजी वो देव रुण, रूषी रुण , पितृ रुण , भुत रुण, न्रुण रुण पांच रुण होते हैं उनसे उरुण हुए बिना मुक्ति नहीं मिलती | मनु जी  महाराज कहते हैं नहीं नहीं ये सब रुण से छुटी हो जाती हे भक्ति करो और अजी ये जो हमारे संचित पाप हैं अनंत ? अरे दरो मत आप केवल भक्ति करते जाओ, बस केवल भगवन और महापुरुष दो ही की भक्ति हो, ये शर्त हे |

वेद कहता हे जेईसी भक्ति भगवन के प्रति हो, वेयिसी ही गुरु के प्रति हो | एक प्रकार से, कोई छोटा बड़ा बहिन, दोनों एक हैं | और बाकि में कहीं मन का अटैचमेंट पॉइंट वन  परसेंट भी न होने पाये | कोई भी देवता हो, देवी हो, मनुष्य हो, रख्याश हो किसी की आवश्यकता नहीं हे | पेड़ की जड़ में पानी डालो सब पत्तों तक में उसको मिल जयेगा  जल |

भगवन की भक्ति किया, तो सबकी भक्ति हो गई | ये मान लिया गया | सब खुश हो जाएँगे | देवी देवता | अलग-अलग भक्ति नहीं करनी पड़ेगी | अभी तो आपके दिमाग में बीमारी हे दुर्गा जी भी, हनुमान जी भी, गणेश जी भी, व्यिस्नो देवी भी, तिरुपति बी चलो और कब्रिस्तान भी चलो | वहाँ भी पहुँच जाते यहीं अप्प | पागल हैं | तत्वज्ञान नहीं हे | आपके भगवन के यहाँ कुछ कमी हे क्या ? जो अप्प जाते यहीं | कोई बाबा हे ठीक हे वो महापुरुष का बाप हुआ हो | अब उसको जमीं में गाढ़ दिया , वो शारीर था | वो तो बाबा गया, भगवान के यहाँ, वो शारीर में अब क्या धरा हे, जो आप जा रहे हे नमस्ते करने उसको | हमको बाप दे दो, बेटा दे दो, धन दे दो | अरे क्या माँग रहे हो | ये पागलपन नहीं करना हे | अनन्य भाव से भगवान की भक्ति करने से सब समस्यायें हल जाएँगी  | अन्तः करण शुद्ध हो जाएगा फिर गुरु दिब्य शक्ति देगा तब भगवान का दर्शन होगा, माया, त्रिगुण, त्रिकर्म, पंच्क्लेश, पंचकोष सब समाप्त हो जायेंगे ' सदा पश्यन्ति सूरयः ' सदा के लिए आनंदमय हो जाओगे , मालामाल हो जाओगे |

लाडली-लाल की जय

जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराजजी

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