Thursday, October 27, 2011

सुनु दाता नंदकुमार हो , पतितन को सरदार

सुनु दाता नंदकुमार हो , पतितन को सरदार |
तू पतितन सुनत पुकार, चह भीख प्रेम सरकार ||
रिरियात परो तव द्वार, तू प्रेम रूप साकार |
तुक हमारिहूँ अरु निहार, चह भीख प्रेम सरकार ||
जग सुख नहीं चह रिझवार, चह मुक्ति न पांच प्रकार |
चह नहीं वईकुंठ बिहार, चह भीख प्रेम सरकार ||
इक रही पूतना नार, विष प्यायो तोहिं उर धार |
गति दिनी तुम बलिहार, चह भीख प्रेम सरकार ||
हो जानत तुम मम यार, परखत मोहिं भुजहीं पसार |
तव अति 'कृपालु' दरबार, चह भीख प्रेम सरकार ||

राधे राधे

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